उफ़ ये ज़िन्दगी है या जन्नत, उफ़ ये सपना है या समंदर !
सावन की बरखा हो या सूजन पे मरहम
रंग और तरंग की रंगोली बनाती हो तुम मेरे जिस्म पे
छूती हो मेरे अनछुए से मन को !!
ज़ेहन में जो ज़ज्बात हैं, वो मैं ज़ाहिर करना चाहता हूँ !
ये जो फूलों की बारिश है, वो मैं तुम पर न्योछावर करना चाहता हूँ
आरज़ू है मेरी शिरकत करे तेरे पावँ
किस्मत में मेरी हो बहारों का जहाँ !!
आशियाने की आस में मेरी निगाहें तेरी राहों में !
रगों में तैरती है धड़कन तेरी तस्वीर की
सुलझ सी गई हैं परत ज़िन्दगी की
बदल से गए है मायने ज़िन्दगी के !!
मेरी तन्हाई में परछाई है तेरे प्यार की !
खुशियों की बारिश में श्रेय है तुम्हारी
कुदरत की कविता हो तुम, पंक्तियाँ मेरे मन की
सुबह की उजली धूप हो तुम, रोशनी मेरे जीवन की !!
सावन की बरखा हो या सूजन पे मरहम
रंग और तरंग की रंगोली बनाती हो तुम मेरे जिस्म पे
छूती हो मेरे अनछुए से मन को !!
ज़ेहन में जो ज़ज्बात हैं, वो मैं ज़ाहिर करना चाहता हूँ !
ये जो फूलों की बारिश है, वो मैं तुम पर न्योछावर करना चाहता हूँ
आरज़ू है मेरी शिरकत करे तेरे पावँ
किस्मत में मेरी हो बहारों का जहाँ !!
आशियाने की आस में मेरी निगाहें तेरी राहों में !
रगों में तैरती है धड़कन तेरी तस्वीर की
सुलझ सी गई हैं परत ज़िन्दगी की
बदल से गए है मायने ज़िन्दगी के !!
मेरी तन्हाई में परछाई है तेरे प्यार की !
खुशियों की बारिश में श्रेय है तुम्हारी
कुदरत की कविता हो तुम, पंक्तियाँ मेरे मन की
सुबह की उजली धूप हो तुम, रोशनी मेरे जीवन की !!